एसिडिटी के प्रति लापरवाही हो सकती है हानिकारक

एसिडिटी के कारण होती है कई परेशानियां 



एसिडिटी एक सामान्य रोग है और आजकल ज्यादातर व्यक्ति इस रोग से पीड़ित रहते हैं। पहले से ही संचित एवं विदग्ध पित्त जब विरूद्ध भोजन, विदाही एवं पित्त प्रकोपक भोजन करने के कारण अत्यधिक विदग्ध एवं अम्लता से युक्त हो जाता है तो यह अम्लपित्त कहलाता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसी को एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, डिस्पेप्सिया एवं गैस्ट्रोक्सिया आदि नाम दिये गये हैं। शरीर में पनप रहीं कुछ अन्य व्याधियों के फलस्वरूप यह रोग होता है। कुछ लोगों में जठर द्वारा नमक के तेजाब के अधिक बनने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है, ऐसे व्यक्ति अधिकतर एसिडिटी से ग्रसित रहते हैं। लंबे समय तक एसिडिटी रहने से कैंसर का भी खतरा बना रहता है।


मुंह से खट्टा पानी लगातार आते रहना इस रोग की पहचान है। इस रोग में पित्त अधिक हो जाने के कारण आहार खट्टा हो जाता है जिस कारण खट्टी व कड़वी डकारें आती रहती हैं। पट व गले में जलन रहती है, उबकाइयां आती है और कभी-कभी उल्टी भी हो जाती है। एसिडिटी के कई कारण है जैसे विरूद्ध भोजन करना, भोजन करके दिन में सो जाना, भोजन के तुरंत बाद ज्यादा पानी पीना, बासी या खराब भोजन का सेवन करना, शरीर के आधारणीय वेगों को रोकना, एक साथ कई अलग-अलग तरह के भोजन खाना, अमाशय में घाव रहना, धूम्रपान या शराब आदि का सेवन, शर्करा के किण्वीकरण के कारण अधिक अम्ल उत्पन्न होता है, चाय का कॉफी का अत्यधिक सेवन, मानसिक तनाव अधिक होना, तनाव व बेचैनी आदि के कारण अमाशय में अम्ल का निर्माण अधिक होता है। एसिडिटी के लक्षणों में- मिचली, कड़वी या खट्टी डकारें आना, भोजन का सही तरीके से न पचना, बिना मेहनत के थकावट होता है।


एसिडिटी के लक्षणों में- मिचली, कड़वी या खट्टी डकारें आना, भोजन का सही तरीके से न पचना, बिना मेहनत के थकावट महसूस होना, हृदय प्रदेश व गले में जलन होना अरूचि जैसे लक्षणों से एसिडिटी का रोग उजागर होता है। एसिडिटी के कुछ अन्य लक्षण भी हैं जैसे - जलन, मूर्छा, प्यास लगना, शरीर में दरारें पड़ना, अग्निमांद्य, रोमहर्ष, पसीना, अंगों में पीलापन आदि लक्षण भी पाये जाते हैं। 


एसिडिटी से पीड़ित व्यक्ति को मुंह की सफाई का अधिक ध्यान रखना चाहिए। प्रत्येक भोजन के बाद दांतों को नियमित ब्रश से साफ करना चाहिए। यदि दांतों पर मैल की परत चढ़ गयी हो तो उसे तुरंत दंत चिकित्सक से साफ करवा लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त नाक, कान व गले की बीमारियां होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श कर रोग निदान करना चाहिए। अधिक अम्ल (एसिड) बनने पर नमक का पानी पीकर उल्टी करें फिर अमाशय पक्षालन करें। इसके लिए सोडाबाईकार्ब को 60 ग्रेन को एक औंस जल में मिलाकर, उसमें हाइड्रोजन परऑक्साइड की 30 बूंदे मिलाएं। इसे पीने के पश्चात सारा पानी उल्टी करके बाहर निकाल दें।


सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू, शराब, कोल्ड ड्रिंक्स, चाट पकौड़ो, मिर्च-मसालेदार तला हुआ भोजन एवं अम्लीयता बढ़ाने वाली वस्तुएं, जैसे-खटाई, सिरका, अचार, चटनी आदि से परहेज करें। हल्का, सुपाच्य, सादा खाना लें।   


-सुबह नियमित रूप से दो केले खाकर बाद में 1 गिलास दूध पीने से एसिडिटी में फायदा होता है।


-नींबू की पतली फाक काटकर उसे कुछ देर पानी में भिगोकर भोजन से पहले खाएं।


-पुदीने की कुछ पत्तियां बारीक काटकर 1 कप पानी में उबाल लें। खाने के बाद पीएं।


-खाने में दही या छाछ को शामिल करें।


-गुड़ का एक टुकड़ा मुंह में रखें और धीरे-धीरे चूसें।